संजय के इस ब्‍लॉग में आपका स्‍वागत है. मेरा सिरजण आप तक पहुंचे, इसका छोटा सा प्रयास।

Tuesday, January 12, 2010

थोडी देशभक्ति भी आयात हो चायना से

थोड़ी देशभक्ति भी आयात हो चाईना से इन दिनों बाज़ार चाईनीज आईटम्स से भरे पड़े हैं। खिलोने, लाईटें, टीवी, चॉकलेट्स, मोबाईल, पिचकारी, पटाखे, लाईट्स और यहां तक कि टायर भी। सब के सब सस्ते और किन्ही मायनों में भारतीय उत्पादों से बढिया भी हैं। सस्ते के चक्कर में खूब बिक भी रहे हैं। चाईना से आयात बढता जा रहा है। बात चाईना से सामग्री के आयात की चल पड़ी तो ऐसा क्यांे न हो कि हम चाईना से देशभक्ति और वतन सर्वोपरि के जज्बे को भी थोड़ा आयात कर लें। यकिनन इसके लिए किस बन्दरगाह, किसी हवाई पोर्ट की आवश्यकता नही रहेगी। चीन के नागरिक देश के लिए, देश की इज्जत के लिए किसी भी हद से गुजर जाते हैं। लोकतंत्र को सात दरवाजांे के पीछे कैद रखने वाले एशिया के इस भारी-भरकम आकार वाले देश मंे हर नागरिक जुटा हुआ है, लगा हुआ है। अपने देश के नागरिकों को शेष दुनिया से अलग-थलग रखने की उनकी ‘आयरन कर्टेन‘ की नीति की निरन्तर आलोचना होती रही। इन सबके उपरान्त आज चीन दुनिया का एक रसूख वाला मुल्क समझा जाता है। यह सब कुछ एक दिन में नहीं हुआ। दुनिया भर की आलोचना को दर-किनार रख कर उसके नागरिक अपने देश को शीर्ष पर ले जाने के लिए जुटे हुए हैं। अभी कुछ वर्षो पहले ही चीन मंे पहली बार मिस युनिवर्स प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था। बाहरी दुनिया ने पहली बार चीन को वास्तविक रूप से देखा। इसके बाद सदी का भव्यतम खेल आयोजन ओलम्पिक का आयोजन राजधानी बीजींग मंे हुआ। पश्चिमी दुनिया के खिलाड़ी, प्रबंधक चीन की तैयारियों को देखकर भौंचक्के रह गए। चीन ने अपने अन्दर ही एक भव्य दुनिया का निर्माण कर लिया। चीन की दीवार जिस मुश्किल से बनाई गई थी उससे कहीं ज्यादा मुश्किल उसे बनाये रखना रहा और इसके लिए चीन ने अपने समस्त संसाधन झांेक दिये और इसे एक पर्यटक स्थल के रूप मंे विकसित किया। इससे लाखों डॉलर्स चीन की जेब में आने संभव हो सके हैं। चीन के लोंगों ने दुनिया को उन्होने दिखला दिया है कि लोकतंत्र ही विकास की पहली शर्त नहीं है। नागरिकों में देशभक्ति का जज्बा सबसे आवश्यक अंग होना चाहिए ये चीन ने साबित कर दिखाया है। चीन के लोग हर सूरत में चाईनिज भाषा ही बोलते हैं, अंग्रेजी बिल्कुल भी नहीं। यदि आपको उनसे संवाद करना है तो आपको चाईनीज भाषा आनी चाहिए, वे आपकी भाषा नहीं सीखते। अपने नगर की सड़कों, इमारतों, पर्यटन स्थलों, अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति चीन के लोगों में जबर्दस्त अनुराग है। वे अपने अपने कत्र्तव्य के प्रति सावचेत रहते है। और यही तत्व उन्हे हमसे श्रेष्ठ बनाता है। भारत में जहां जनसंख्या एक अभिशाप है वहीं चीन के लोगों ने अपने मानव संसाधन का बेहतरीन उपयोग किया है। जनसंख्या नियंत्रण वहां सरकारी महकमों के भरोसे नहीं बल्कि नागरिकों की चिन्ता के कारण संभव हो पाया है। जहां हमारे देश में ‘‘हम दो हमारे दो‘‘ का नारा और सिर्फ नारा लगाया जाता है वहीं चीन में ‘शेर का बच्चा, एक ही अच्छा‘ नारे की पालना की जाती है। न की जाए तो जुर्माना और एक हद तक शर्मिंदगी का बायस भी बनना पड़ता है। अब बात आतंकवाद की। दुनिया के हर हिस्से में आतंकवाद अपनी जड़ें जमा रहा है। चीन में भी सीक्यांग प्रान्त में आतंकवादियों ने सिर उठाया था। यहां उनकी दाल न गली, उन्हे कोई समर्थन नहीं मिला और चीन की सेना ने आतंकवादियों को जड़ों से उखाड़ फेंकने में सफलता पाई। चीन की इस हैरत अंगेज सफलता के पीछे वास्तव में उसके नागरिकों की अपने कत्र्तव्य के प्रति अनुशासन की पिलाई घुट्टी है । हम भारतीयों की चर्चा करें तो हम अपने अधिकारों के प्रति तो पूर्णतया जागरूक रहते हैं लेकिन साथ ही साथ अपने कत्र्तव्यों को बिसरा देते हैं। हम देशभक्ति के नारे बेशक दुनियां में सबसे ज्यादा तेज आवाज में लगाते हैं लेकिन ज़मीनी तौर पर अपनी अंतरात्मा में झाकें तो उसका पैमाना नगण्य है। भारतीय आज जब लगभग सभी कुछ चीन से आयात कर रहे हैं तो क्यों न थोड़ी वतन के प्रति जज्बे की भावना और उसे जीवन म उतारने का संकल्प भी चाईना से आयात कर लिया जाए।

2 comments:

  1. आपकी रिसर्च अच्छी है, मगर अधूरी है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अपनी सम्पत्ति आर टी आई के अन्दर लाये , यह फैसला दिल्ली की अदालत करे। विदेश नीति जैसे फैसले पर भी जनता दवाव बना सके । - ये चीन में कोई सोच भी नहीं सकता। पिछले दिनों एक कड़ोड़ से ज्यादा नौकरियां चीन में जा चुकी है। भारत से तीन गुनी बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बाद भी ग्रामीण जनता बदहाल है। चीन भारत का अनुकर्णीय कतई नहीं हो सकता। खामियां जरुर हैं , पर भारत का विकास भारत की जरूरतों को ध्यान में रख कर , उसकी बहुलता को ध्यान में रखकर तथा नागरिक स्वतंत्रता को बचाए रख कर ही होनी चाहिए।

    ReplyDelete
  2. अच्‍छा लगा आपका ब्‍लॉग .. इस ब्‍लॉग के साथ आपका हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

    ReplyDelete