संजय के इस ब्‍लॉग में आपका स्‍वागत है. मेरा सिरजण आप तक पहुंचे, इसका छोटा सा प्रयास।

Monday, August 30, 2010

दूहा निरन्‍तर दूहा

पूरब और पश्चिम 
होडा-होड, गोडा-फोड़,
चारयूंमेर भागम दौड़। 
रिपीयो बणग्यो, माईबाप,
चौकी मोटी, छोटी खांप।


जनता कम, अर नेता घणा,
निब्बे पर भारी, दसूं जणा।
नीत अनीत, सुरग रा पट्टा,
आज बण गया, हंसी‘र ठट्टा।


जूण मिनख री है अनमोळ,
बिसरयो ए, संतां रा बोळ।
गरूजी खोल लियो बैपार,
तनखा धोबो, टिंगर चार।


राज रो पईसो, सहसतरधार,
न्हाओ मोकळा, भवसागर पार।
भाठा हो रिया, मालामाळ,
पढ़ियो कूके, बाका फाड़।


कळजुग रो, ओ मेळो देख,
तांबो काढै सोने री मेख।
काग दड़ाछंट, राज करै,
हंसो घुट घुट, मांय मरै।









Monday, August 16, 2010

म्‍हारा राजस्‍थानी दूहा

जीवण मुरली ज्यूं,
थोथी बोले फुर
मिनख री लगायोडी फूंक
सुणावे दोय सुर


सतसंग मसाणिये बेराग ज्यूं
मांय तो परलोक सुधारै
पण बारै आवंते ही
निनाणूं रो फेर याद दरावै


पाणी जीये री जड़ी ज्यूं
धारमधार बैंवतो जावै
पण जे काळ पडै़ तो
मिनख तडफतो ही जावै


मौत साची चेंजरूम ज्यूं
काया रा जूना गाबा उतरावै
अर झाग नूवो चोगो पैराव
आतमा सागी साथ निभावै




इज्जत लक्कड़ नाव ज्यू
भवसागर तरा जावै
पण एक ही खाडो हूंया
मिनख लैअ‘र डूब जावै


आंसू विभीसण ज्यूं
अन्तस रा भेद बतावे
लाख लुकाओ पण
राज हिये रा खोल जावै


हैलो कुण्डी ज्यूं
मिन्दर मसजिद मांय गुंजावै
भोळो समझै इत्ती बात
हैला सागी रेख ही जावै


सनमान बंटती रेवडयां ज्यूं
लूंठा रे खाते में आवै
सुपातर बापड़ो खड़ो किनारै
बाट जांवतो ही रै जावै


लिखमी अंधड़ रै धोरां ज्यूं
चंचळ ठौर बदळती जावै
सुरसत खेजळ ठौर-ठौर
छियां ज्ञान री धाप ओढावै


सुख-दुख तावड़ै री घड़ी ज्यूं
दोय पड़द आवै अर जावै
बढै तावड़ौ छियां घटत में
पण सींझया पाछी घर आवै