पूरब और पश्चिम |
चारयूंमेर भागम दौड़।
रिपीयो बणग्यो, माईबाप,
चौकी मोटी, छोटी खांप।
जनता कम, अर नेता घणा,
निब्बे पर भारी, दसूं जणा।
नीत अनीत, सुरग रा पट्टा,
आज बण गया, हंसी‘र ठट्टा।
जूण मिनख री है अनमोळ,
बिसरयो ए, संतां रा बोळ।
गरूजी खोल लियो बैपार,
तनखा धोबो, टिंगर चार।
राज रो पईसो, सहसतरधार,
न्हाओ मोकळा, भवसागर पार।
भाठा हो रिया, मालामाळ,
पढ़ियो कूके, बाका फाड़।
कळजुग रो, ओ मेळो देख,
तांबो काढै सोने री मेख।
काग दड़ाछंट, राज करै,
हंसो घुट घुट, मांय मरै।