संजय के इस ब्‍लॉग में आपका स्‍वागत है. मेरा सिरजण आप तक पहुंचे, इसका छोटा सा प्रयास।

Wednesday, October 4, 2017

*स्टोरी*लघुकथा*संजय पुरोहित
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नौजवान पत्रकार ने काला धंधा करने वाले गिरोह पर स्टोरी तैयार की। सरगना एक कथित समाजसेवी था। संपादक ने पत्रकार की पीठ थपथपाई।
सुबह नौजवान पत्रकार ने बार बार अखबार देखा।उसकी स्टोरी तो कहीं नहीं थी। लेकिन अखबार में कथित समाजसेवी का एक पृष्ठ का रंगीन चित्रमय विज्ञापन अवश्य था। 
नौजवान पत्रकार ने आधुनिक पत्रकारिता का पहला सबक सीखा।
*सवाल*लघुकथा*संजय पुरोहित
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मशहूर फोटोग्राफर की फोटो प्रदर्शनी। अतिथि का अवलोकन। फोटोग्राफर हर फोटो की ब्रीफ हिस्‍ट्री बता रहे थे। एक चित्र दिखाते कहा,''सर। ये फोटो दंगे का है, मैंने जान पर खेल कर इसे क्लिक किया।'' यह किसी व्‍यक्ति के जिंदा जलने का वीभत्‍स फोटो था । 
अतिथि के साथ आये एक बच्‍चे ने मासूमियत से सवाल किया, ''इन अंकल का फिर क्‍या हुआ ?'' फोटोग्राफर बच्‍चे का गाल थपथपाते बोला, ''मालूम नहीं बेटा। मैं तो वहां से जान बचा कर भाग निकला था।'' 
*मां*एक बड़ी लघुकथा*संजय पुरोहित*
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"मम्‍मा, यू नो। मेरी फ्रेंडस कहती है कि आई लुक फेट...कल से दो ही रोटी खाऊंगी।"
"नहीं बिटिया, तुम मोटी नहीं, बल्कि बिल्‍कुल फिट हो।"
"ना मम्‍मा। ओनली टू चपातीज फ्रोम टुमारो। दिस इज फाइनल।"
अगले दिन बिटिया ने देखा, मां ने उसके लिये दो ही रोटी बनाई पर रोटी का आकार दुगुना था, मोटाई भी।
*डेकोरम*लघुकथा*संजय पुरोहित
टी-शर्ट पहने एक युवा ऑफिसर को देखते ही बॉस ने डांटा, ''टी-शर्ट ?मीटींग का कोई डेकोरम है कि नहीं ?''
''सॉरी सर !अब ये गलती नहीं होगी।''रंगरूट मिमियाया।
साहब ने होठों के किनारे अटकी सिगरेट जलाते हुए वॉर्निग दी, ''आईन्‍दा से ये बेहुदगी नहीं चलेगी।'' 
युवा अधिकारी ने 'हां' में सिर हिलाया। 
*योजनाएं*लघुकथा*संजय पुरोहित 
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योजना निर्धन कल्‍याण की थी। कच्‍ची झोंपड़ियों को तोड़ कर पक्‍के मकान बनाये जाने थे। साहेब ने खुशी खुशी हस्‍ताक्षर कर दिये। अगली फाईल आई। पर्यटन को बढावा दिये जाने की योजना। पर्यटकों को ग्रामीण जीवन का एन्‍जॉय कराने के लिये सरकारी होटलों के कमरों को तोड़ कर झोंपड़ियां बनाई जानी थी। 
साहेब ने मुस्‍कुराते हुए इस फाईल पर भी हस्‍ताक्षर कर दिये।
*मातम**लघुकथा**संजय पुरोहित
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टी.वी.न्यूज चैनल स्टूडियो। कुछ लोग निराश बैठे थे। नेताजी दुर्घटना में घायल हुए थे। बचने की संभावना क्षीण थी। चैनल ने संभावित मृत्यु पर टेलिकास्‍ट किये जाने वाले प्रोग्रामों को तैयार किया। नेताजी के जीवन के चित्र, अभिलेख जुटाये। करीबी लोगों को चर्चा के लिये बुक किया। एक रिपोर्टर को नेताजी के गाँव भेजा। 
सब मेहनत बेकार। डॉक्‍टरों ने साफ़ कर दिया कि नेताजी की जान को अब कोई खतरा नहीं है। नेताजी के परिजनों, कार्यकर्ताओं में खुशी थी।
न्यूज चैनल स्टूडियो में मातम था।
*संकल्‍प**लघुकथा**संजय पुरोहित
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अपराधी पुत्र के दुखियारे पिता चल बसे। बैठक लगी। प्रतिदिन गरूड़-पुराण बांचा जाता। एक दिन कथावाचक ने नचिकेता वर्णित नर्क वृतान्त को सुनाया, "अधर्मी, पापी, दुष्टों को नर्क में नाना प्रकार की यातना दी जाती थी। किसी को कोड़े मारे जाते, कोई खौलते तेल में तला जाता..।" यह सुनते-सुनते अपराधी बेटे ने मन ही मन एक 'संकल्प' लिया। 
अगले दिन से गरूड़ पुराण बन्द करवा दिया।