जीवण मुरली ज्यूं,
थोथी बोले फुर
मिनख री लगायोडी फूंक
सुणावे दोय सुर
सतसंग मसाणिये बेराग ज्यूं
मांय तो परलोक सुधारै
पण बारै आवंते ही
निनाणूं रो फेर याद दरावै
पाणी जीये री जड़ी ज्यूं
धारमधार बैंवतो जावै
पण जे काळ पडै़ तो
मिनख तडफतो ही जावै
मौत साची चेंजरूम ज्यूं
काया रा जूना गाबा उतरावै
अर झाग नूवो चोगो पैराव
आतमा सागी साथ निभावै
इज्जत लक्कड़ नाव ज्यू
भवसागर तरा जावै
पण एक ही खाडो हूंया
मिनख लैअ‘र डूब जावै
आंसू विभीसण ज्यूं
अन्तस रा भेद बतावे
लाख लुकाओ पण
राज हिये रा खोल जावै
हैलो कुण्डी ज्यूं
मिन्दर मसजिद मांय गुंजावै
भोळो समझै इत्ती बात
हैला सागी रेख ही जावै
सनमान बंटती रेवडयां ज्यूं
लूंठा रे खाते में आवै
सुपातर बापड़ो खड़ो किनारै
बाट जांवतो ही रै जावै
लिखमी अंधड़ रै धोरां ज्यूं
चंचळ ठौर बदळती जावै
सुरसत खेजळ ठौर-ठौर
छियां ज्ञान री धाप ओढावै
सुख-दुख तावड़ै री घड़ी ज्यूं
दोय पड़द आवै अर जावै
बढै तावड़ौ छियां घटत में
पण सींझया पाछी घर आवै
संजय के इस ब्लॉग में आपका स्वागत है. मेरा सिरजण आप तक पहुंचे, इसका छोटा सा प्रयास।
Monday, August 16, 2010
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wah wah
ReplyDeleteसंजय जी,चोखा दूहा है्।
ReplyDeleteराम राम
हिन्दी के 'दोहा' छन्द का पूर्व नाम 'दूहा' भी था. दोहा की दो पंक्तियों में १३-११, १३-१३ मात्राओं पर यति (विराम) अनिवार्य है. विषम चरणान्त में गुरु लघु होना भी जरूरी है. आपके पदों में दोहा संबंधी नियमों का पालन नहीं है. क्या यह 'दूहा' कोई अन्य छंद है.
ReplyDeleteदोहा:
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब्ब.
पल में परलय होयगी, बहुरि करैगो कब्ब..
इन दिनों शायद आप व्यस्त हैं, क्योंकि काफी दिनों के बाद कुछ नया दिया है । सदैव आपका ब्लॉग देखतें हैं, परन्तु पिछले दिनों से कुछ नया नहीं मिल पाने से थोडी निराशा हुई । कृपया निरन्तर लिखतें रहें । राजस्थानी दोहों और खासकर आपकी राजस्थानी साफे वाली तस्वीर बहुत पसन्द आई । साधुवाद ।
ReplyDeletesanyaj jee ,
ReplyDeletepranam !
aachi hai aap ri oliya .
ghani khamma !
संजय जी, घणो हिंदी बापरस्यो तो बे इया ही नुक्स काढता रेसी (see divya narmada's comment), अर
ReplyDeleteआपा हीण भावना हु दोबता रेस्या |
इयु चोखो'ह क मायद भासा वापारो, क्यों झुटा मान ताई मायाड न दुख देवा |