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Saturday, August 20, 2016

अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव विशेष सीरीज - 3

अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव-3

ट्रंप बनाम हिलेरी : प्‍लस बनाम माईनस
      वर्तमान अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा की लोकप्रियता के लिये हाल ही में हुए सर्वेक्षण में 54 फीसदी लोगों ने उन्‍हे पसंद किया। यह बात इसलिये जरूरी है कि इस शख्‍स ने साढे सात साल से अमेरिकी राष्‍ट्रपति का पद संभाल रखा है। सामान्‍यता विदा होने के वक्‍त समर्थन की घडी उल्‍टी चलने लगती है, किंतु ओबामा के साथ ऐसा नहीं है। ये तो हुई एक बात पर दूसरी और हकीकत की बात ये है कि बराक ओबामा की विदाई का वक्‍त करीब आ रहा है। कुछ माह का समय शेष रहा है। अगले चार सालों तक विश्‍व के सबसे शक्तिशाली व्‍यक्ति के पद के चुनाव का बिगुल बज चुका है। ट्रंप बनाम हिलेरी। दोनों ही उम्‍मीदवार लगभग बराबरी पर चल रहे हैं। मजे की बात ये भी है कि दोनों ही उम्‍मीदवारों को अपनी ही पार्टी में शत-प्रतिशत समर्थन नहीं मिला। डोनाल्‍ड ट्रंप ने तो अपनी गिनती शून्‍य से ही आरम्‍भ की। हिलेरी भी जॉन मैक्‍क्‍ेन और सैंडर्स से बराबरी की टक्‍कर के बाद आगे बढी। रिपलब्लिकन्‍स तो आज भी एकमत से अपने उम्‍मीदवार के पक्ष में नहीं है। डोनाल्‍ड ट्रंप की उम्‍मीदवार से रिपलब्लिकन्‍स भी परेशान हैं। हाल ही में लगभग पचास वरिष्‍ठ रिपलब्लिकन्‍स ने एक बयान जारी कर कहा है कि 'यदि डोनाल्‍ड ट्रंप राष्‍ट्रपति बनते हैं, तो यह सबसे खतरनाक राष्‍ट्रपति होंगे'। यहां यह बात उल्‍लेखनीय है कि यह बयान जारी करने वाले वे रिपलब्लिकन्‍स हैं, जिन्‍होने जॉर्ज डब्‍ल्‍यू बुश के साथ काम किया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि डोनाल्‍ड ट्रंप के लिये अपनी पार्टी की राह भी आसान नहीं रही होगी। डोनाल्‍ड ट्रंप के लिये जितनी मुश्किलें पार्टी ने खडी की, लगभग उतनी ही मुश्किलों के साथ हिलेरी क्लिंटन भी अपनी पार्टी में आगे बढी। लगभग आठ साल पहले के चुनावों में पार्टी की उम्‍मीदवारी से चूकने के बाद इस बार हिलेरी ही डेमोक्रेटिक पार्टी की स्‍वाभाविक उम्‍मीदवार थी। लेकिन जैसे-जैसे दिन गुजरते गये, हिलेरी के लिये भी राह मुश्किल होती गई। जॉन मैक्‍केन और सैंडर्स ने हिलेरी को कडी टक्‍कर दी, लेकिन आखिरकार बाजी हिलेरी के हाथ लगी। ये सब बातें भूतकाल के गर्भ में समा चुकी है, इतिहास के पन्‍ने बन चुकी है। वर्तमान में चुनाव दो चेहरों के बीच लडा जा रहा है - ट्रंप और हिलेरी
      चुनाव अभियान तेजी पकड़ रहा है। हर दिन कोई ना कोई नई बात आती जा रही है। हिलेरी क्लिंटन का कैम्‍प आरम्भिक दिनों में उतना सक्रिय नजर नहीं आ रहा था। जैसे-जैसे डोनाल्‍ड ट्रम्‍प की लोकप्रियता बढती जा रही थी, उसने एकबारगी तो डेमोक्रेटस को हिला कर रख दिया। हिलेरी हार मानने वाली महिला है ही नहीं। पूरी तरह मैदान में कूदने के बाद हिलेरी के तेवर बदल गये हैं। अब वह ट्रम्‍प के हमलो से खुद का बचाव ही नहीं कर रही, बल्कि आगे बढ कर हमले कर भी रही है। अमेरिका दुनिया का दबंग देश है। उसका राष्‍ट्रपति बनने के लिये मुख्‍य दोनों ही दलों ने इस बार जो प्रत्‍याशी मैदान में उतारे हैं, वे पहले के सभी चुनावों से अलग हट कर है। तेजी से बदलती जा रही दुनिया में चुनावों के रंग-रूप भी बदल गये हैं। नीतियों से ज्‍यादा व्‍यक्ति और उससे भी ज्‍यादा व्‍यक्ति की निजी जिंदगी चुनावों में चटखारों के साथ हावी हो रही है। लेकिन इसके साथ ही दोनों उम्‍मीदवारों के गुण-दोष भी कसौटी पर हैं। 
      पहले बात डोनाल्‍ड ट्रंप के प्‍लस-माईनस की। अमेरिका में रिपलब्लिकन पार्टी को 'ग्रेंड ओल्‍ड पार्टी' कहा जाता है। संयोग है कि रिपलब्लिकन्‍स ने अपना उम्‍मीदवार भी 'ग्रेंड ओल्‍डमैन' को ही चुना है। डोनाल्‍ड ट्रंप अपने आक्रामक तेवरों के साथ मैदान में आये हैं। इस तेजी से बदलते, खुले स्‍वतंत्र अमेरिकी समाज में वे अपना नया शफूगा लाये हैं। ट्रंप के अब तक के भाषणो का विश्‍लेषण किया जाये, तो लगता है कि वे अमेरिका को एक बंद समाज के रूप में आगे बढाना चाहते हैं। उनके बयान उनको न केवल अमेरिकी लोगों अपितु दुनिया भर के लोगों के निशाने पर ले आते हैं। कहना ही होगा कि आरम्भिक तौर पर यह माना जा रहा था कि यदि ट्रंप सामने आते हैं, तो हिलेरी आसानी से उन्‍हे हरा देगी। कुछ राजनैतिक विचारकों ने ट्रंप के रिपलब्लिकन्‍स उम्‍मीदवार बनने पर मखौल भी उडाया। समय गुजरने के साथ ही ट्रंप अपने बड़बोलेपन के साथ किसी स्‍पाईडर मैन की तरह उछल-उछल कर आगे बढ गये। ट्रंप की अति हमलावार नीति, मुसलमानों को अमेरिका में घुसने नहीं देने संबंधी बयान और कई मुददों पर बेहद कठोर बयान से हवा बदलने लगी। शुरूआत में बेवकुफाना बयानों के कारण उन्‍हे अधिक गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था, लेकिन बाद में वह अपनी जमीन बनाने मे सफल हो गये। जहां अमेरिका के एक तबके के लोग ट्रंप की इन नीतियों के कारण खफा नजर आते हैं, वहीं एक बडा तबका ऐसा भी है जो ट्रंप से सहमत नजर आता है। अमेरिकी मूल निवासियों की बढती बेरोजगारी, अमेरिकी समाज को खोखला करने वाले मादक पदार्थों की तस्‍करी पर ट्रंप की दो टूक उन्‍हे मुख्‍यधारा में ले आई। आतंकवाद को एक धर्म विशेष से जोड़ने की तुच्‍छ सी अमेरिकी मानसिकता को ट्रंप ने मुददा बना कर रख दिया। जिन लोगों की समझ में ये बातें ट्रंप के लिये माईनस पोईन्‍ट थीं, वही हकीकतन प्‍लस बन कर ट्रंप को आगे बढा ले गई। आतंक का धार्मिक चेहरा पढ सकने वाले अमेरिकियों को ट्रंप के रूप में विकल्‍प नजर आने लगा। महिलाओं और उदारवादी नेताओ के संबंध में उनके बयान भी उनके लिये नुकसानदेह ही हुए। उनके कई बयान तो इतने बेहुदा रहे कि अमेरिकियों को उनके मानसिक संतुलन पर ही शक हुआ। उत्‍तर कोरिया के तानाशाह शासक किंग जोंग उन को अमेरिका बुलाने जैसे कई बयान ट्रंप को उलटे भी पडे। फिर भी ट्रंप की लोकप्रियता तेजी से बढी। आतंकवाद पर उनका स्‍पष्‍ट कडा रूख, आई.एस.आई.एस. से निर्णायक लडाई लड़ने के संकल्‍प, 'अमेरिका के हित प्रथम' नीति, आउटसोर्सिंग में कटौती, अमेरिकी बेरोजगारी पर ठोस नीति, मैक्सिको से आव्रजन पर कडी दीवार जैसे कुछ मुददें हैं, जिन पर ट्रंप की बातें लोगों को पसंद आ रही है। यह हिलेरी के लिये चिंता की बात है। ट्रंप अरबपति व्‍यापारी है। अमेरिकी चुनावों में वे अपनी दौलत को जल-प्रपात से झर रहे पानी की तरह बरसा रहे हैं। अमेरिकी जनता से ट्रंप को मिल रहा समर्थन उनके इन्‍ही प्‍लस-माईनस पर निर्भर करता है।

      हिलेरी क्लिंटन पूरी तरह अलग हैं। वे द़ढ निश्‍चयी है, कठोर है, तार्किक है। ट्रंप से लगभग उलट। अमेरिका ने 234 साल लगा दिये तब कहीं जाकर पहला अश्‍वेत अमेरिकी राष्‍ट्रपति बन पाया। लगभग इतना ही समय अमेरिका ने लगाया जब 227 सालों बाद किसी मुख्‍य दल ने अपना उम्‍मीदवार महिला को बनाया। लेकिन इतिहास का यह दूसरा प़ष्‍ठ अ‍भी आधा ही है। हिलेरी को इतिहास बनाने के लिये इसे पूरा करना होगा। हिलेरी उम्‍मीद की लहर पर सवार नहीं है। हां, महिला होने के नाते और इससे भी अधिक अमेरिकी राष्‍ट्रपति पद के इतने करीब पहुंचने वाली 'पहली महिला' के रूप में हिलेरी को अतिरिक्‍त समर्थन बोनस के रूप में मिलेगा, ये तो तय है। उन लोगों का भी समर्थन हिलेरी को मिलेगा, जो अमेरिका के सबसे उदार और मजबूत लोकतत्र में यकीन रखते हैं। हिलेरी के अमेरिकी विदेशमंत्री के रूप में हुए कार्यकाल को अमेरिकी जनता ने भलि-भांति देखा हुआ है। हिलेरी पूर्णतया सफल नहीं हुई तो यह भी सही बात है कि असफल भी नहीं हुई। उनके प्रति अमेरिकी जनता में विश्‍वास है और वह पहले कम, तो अब अधिक रूप से लोगों के रैलियों में आने से दिख रहा है। ओबामा की लोकप्रियता का फायदा, पति बिल क्लिंटन की मेहनत के साथ हिलेरी आगे बढ रही है। हिलेरी कूटनीतिज्ञ हैं और ट्रंप के भ्रामक आक्रमण का जवाब तर्कपूर्ण ढंग से दे रही हैं। वे अमेरिकी जनता से निरन्‍तर कह रही है कि आपको 'नफरत और प्रेम के मध्‍य किसी एक को चुनना है'। हिलेरी को यह भी मालूम है कि वैश्‍वरीकरण आज विश्‍व व्‍यवस्‍था का मुख्‍य अंग बन चुका है। कोई देश ना तो इससे पीछे लौट सकता, ना हट सकता है। इसी बात को वे अपने बयानों में उठा भी रही है कि, ''कोई ऐसा व्‍यक्ति है जा वैश्‍वरीकरण की प्रक्रिया को ही रिवर्स-गियर में डालना चाहता है'' कहना ना होगा कि उनका इशारा किस ओर है। वे आम तौर पर अगली अमेरिकी राष्‍ट्रपति के रूप में स्‍वाभाविक तौर पर सही उम्‍मीदवार लगती हैं लेकिन लगना और हकीकत में हो जाना, दो अलग अलग बातें हैं। हिलेरी पारम्‍परिक अमेरिकी संस्‍क़ति से आती है। उनकी नीतियों में तर्क होता है। सामाजिक मुददों पर वे भावनात्‍मक तर्क को प्राथमिकता देती है, तो सामरिक मुददों पर 'अमेरिका फर्स्‍ट' नीति पर। अराकांसास प्रान्‍त की प्रथम लेडी के रूप में, अमेरिका की प्रथम लेडी के रूप में, सीनेटर के रूप में और अमेरिकी विदेश मंत्री के रूप में अर्जित किये गये अपार अनुभव उनके लिये ट्रंप की अकूत दौलत का सामना करने के लिये पर्याप्‍त लगती है। दूनिया भर के नेताओं से उनका अच्‍छा संबंध है। वे सही समय पर, सही पद के लिये, सही उम्‍मीदवार नजर आती है। अपनी कार्यशैली और कार्यक्षमता से उन्‍होंने निरन्‍तर ही देश के भीतर और बाहर लोगों को प्रभावित किये रखा है। वे एक ही समय लिबरल भी है और कन्‍जरवेटिव भी। यही बात हिलेरी क्लिंटन को दूसरों से अलग बनाती है। कागजों में, व्‍यवहार में, कुशलता में और प्रभावशीलता में निश्‍चय ही हिलेरी, ट्रंप से इक्‍कीस है किंतु लोकतंत्र की यही तो खूबी है कि उन्‍नीस हो या इक्‍कीस, निर्णय जनता ही करती है। अमेरिकी जनता के इस फैसले की घड़ी अब करीब आ रही है। 

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