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Sunday, August 28, 2016

अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव सीरीज - 4

अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव - विशेष फीचर - 4
मुददे और द़ष्टिकोण


      8 नवम्‍बर 2016 को अमेरिकी राष्‍ट्रपति के चुनाव की तिथि नियत है। दुनिया की नजर इस चुनाव पर है। ग्‍लोब पर जितने देश नजर आते हैं, उनमें जिज्ञासा है। तनाव है। उत्‍साह है। आशंका है। उम्‍मीद है। ये तो सभी जानते हैं कि वामवादी रूस का भटठा बैठने के बाद से अमेरिका विश्‍व का स्‍वंयभू लीडर है। सभी देशों के हित-अहित किसी न किसी रूप में अमेरिका से जुडे रहते हैं। नाटो देशों की अगुवाई करने वाला यह शक्तिशाली देश इस धरती पर विचरण करने वाले प्रत्‍येक प्राणी के जीवन को प्रभावित करता है। कई देश आर्थिक मदद की आस लगाये बैठे हैं, कई आर्थिक मदद में इजाफे के इंतजार में है। कई देश अपने घर में उत्‍पात मचाये हुए आतंकियों को जमीदोज करने में अमेरिका की गुहार लगा रहे हैं। कई देशों के नेता ऐसे भी हैं कि अपने देश में विरोधियों को शांत करने के लिये अमेरिकी उम्‍मीद पाले हैं। अमेरिका सबकी पंचायती करता है। लेकिन अपने हितों को सर्वप्रथम रखता है। देश छोटा हो या बडा अमेरिका गुण-दोष के आधार पर वहां अपनी राजनीति चलाता है। प्रभुत्‍व जमाने का ये गुण दशकों से अमेरिका खेल रहा है। इसमें कोई कमी आयेगी, इसकी आशा कम ही है। विश्‍व की नजर इसलिये भी अमेरिकी चुनावों पर है क्‍योंकि खुद अमेरिकी राष्‍ट्रपति पद के उम्‍मीदवारों के विभिन्‍न मुददों पर आ रहे बयानों से स्थिति स्‍पष्‍ट नहीं हो पा रही है कि आखिर विश्‍व के प्रति अमेरिका की आगामी रणनीति क्‍या होगी।
      आज हम विभिन्‍न मुददों पर दोनों उम्‍मीदवारों के विचारों का विश्‍लेषण करते हैं। सबसे पहले वह मुददा जिससे डोनाल्‍ड ट्रंप उभरे। उन्‍होंने स्‍पष्‍ट कहा कि वे मुसलमानों के अमेरिका धुसने पर प्रतिबंध लगा देंगे। इस बयान ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी। रिपब्लिकन्‍स पार्टी के भीतर और देश में भी असमंजस का माहौल हो गया। यही वह बयान था जिससे अमेरिका में राष्‍ट्रवाद उभरा। खुले, स्‍वतंत्र और उदारवादी लोगों के अलावा जितने भी अमेरिकन्‍स हैं उनसे डोनाल्‍ड ट्रंप को भारी समर्थन मिलना आरम्‍भ हुआ। ट्रंप का तो ये भी कहना है कि जो लोग संदिग्‍ध हैं उन्‍हे पर्याप्‍त स्‍क्रीनिंग तक अमेरिका से तब तक बाहर कर देना चाहिये जब तक कि अमेरिकी अधिकारी उनके प्रति पूरी तरह आश्‍वस्‍त नहीं हो जाये। डेमोक्रेटिक उम्‍मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने इस बयान का जमकर विरोध किया। इस बयान से एक प्रकार का उदारवादी और कटटरवादियों के बीच ध्रुवीकरण हुआ। डोनाल्‍ड ट्रंप इस बात के भी मुखर समर्थक हैं कि जो आतंकवाद के आरोप में पकडे गये हैं उन्‍हे कोई कानूनी मदद नहीं दी जानी चाहिये, जबकि हिलेरी इस पक्ष की हैं कि उन्‍हे निष्‍पक्ष सुनवाई का अधिकार दिया जाना चाहिये। ये मुददा चुनाव होने तक गर्म रहने की संभावना बनी रहेगी।
      एक मुददा जो कि हाल ही के पांच-सात सालों में पूरे यूरोप के लिये सांसत बना हुआ है, वह शरणार्थियों का। आई.एस.आई.एस. के बर्बर आतंक, निदोर्षों को गाजर मूली की तरह काटने, बच्‍चों से लेकर व़द्धों तक को पैशाचिक तरीके से मारने से अपनी मौत की आशंका से बदहवास लोग अपना घर-बार छोड कर पलायन कर रहे हैं। इनके पलायन से शरणार्थियों के रूप में एक बडी समस्‍या पूरे यूरोप में आ गई है। ये निश्‍चय ही गंभीर समस्‍या है। युरोपियन देशों में इसको लेकर बहस हो रही है। मानवीयता के आधार पर यूरोप के देश शरणार्थियों की दिल खोल कर मदद कर रहे हैं। लेकिन ये दरियादिली उन्‍हे भारी पड रही है। आर्थिक रूप से तो परायों को बैठे-बिठाये खिलाने पर खजाने खाली हो रहे हैं पर इससे बडा डर इस बात का है कि शरणार्थियों के रूप में जिहादी भी घुस आये हैं। पिछले एक साल में आतंक की जितनी घटनायें यूरोप में हुई, उनके तार कहीं न कहीं आई.एस.आई.एस. से जुडे नजर आये। हर देश को अधिकार है कि वह अपने लोगों को बचाने के लिये किसी भी हद तक जाये। हिलेरी क्लिंटन सीरियन शरणार्थियों को शरण दिये जाने की पक्षधर हैं। डोनाल्‍ड ट्रंप इस मुददे पर बिल्‍कुल सख्‍त हैं। उनका ये मानना है कि अमेरिका में किसी शरणार्थी को शरण नहीं दी जानी चाहिये। इससे भी आगे बढ कर ट्रंप कहते हैं कि जो आ गये हैं, उन्‍हे भी वापिस भेज देना चाहिये।

      रूस के पतन के बाद से अमेरिका का दो दशक तक कोई बराबरी का राष्‍ट्र नहीं था। यह शून्‍य चीन ने भर दिया है। अब दोनों बराबरी की शक्ति वाले ध्रुव राष्‍ट्र बन गये हैं। चीन की शक्ति से उपर रहने में अमेरिका रक्षा खर्च बढाना चाहता है। साथ ही अमेरिका अपनी सैन्‍य ताकत के बल पर दुनियाभर में अभियान चलाता रहा है। अमेरिका का सैन्‍य खर्च भारी भरकम है। इसमें कटौती किये जाने का मुददा जब सामने आया तो डोनाल्‍ड ट्रंप ने स्‍पष्‍ट मत दिया कि वे चाहते हैं कि अमेरिका को आतंक से लडने के लिये और संसाधनों की आवश्‍यकता है। वे सैन्‍य खर्च में भारी बढोत्‍तरी के पक्ष में है। वहीं हिलेरी क्लिंटन की नजर में वर्तमान सैन्‍य बजट पर्याप्‍त है।
      अगला मुददा है अवैध आप्रवास। अमेरिका इस समस्‍या से सबसे ज्‍यादा पीडित है। इसका कारण यह है कि अमेरिकी संसद सभी जीवित इंसानों के कल्‍याण के लिये प्रतिबद्ध है। दुनिया भर से लोग अवैध तरीके से कैसे भी करके अमेरिका पहुंचना चाहते हैं। अमेरिका की आर्थिक स्थिति अब ऐसा नहीं है कि उनका खर्च भी उठाये। हिलेरी क्लिंटन इस मुददे पर कहती है कि आप्रवासियों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिये सरकारी सब्‍सिडी जारी रहनी चाहिये और यहां तक कि उन्‍हे नागरिकता अनुदान भी मिलना चाहिये। ट्रंप इसके सख्‍त विरोधी हैं। इसी से जुडा अगला मुददा है मेक्सिकन आप्रवासी। मेक्सिको के अवैध आप्रवासी अमेरिका के लिये गले की हडडी है। अमेरिका में लाखों मैक्सिकन रहते हैं। अमेरिका का मादक पदार्थों का धंधा लगभग पूरा ही मेक्सिकन के हाथों में है। अमेरिका इनसे चाह कर भी निजात नहीं पा सका है। ट्रंप ने यह बयान देकर इस मुददे को लाईम लाईट में ला दिया है कि वह अमेरिका और मेक्सिको की सीमा पर उंची दीवार बनवाना चाहते हैं जिससे मेक्सिको सीमा से अवैध रूप से घुसने वालों को रोका जा सके। जाहिर सी बात है कि हिलेरी इससे सहमत नहीं है।
      आप यदि भारत में हैं और आपको स्‍वरक्षा के लिये बन्‍दुक खरीदनी है तो सरकारी सिस्‍टम उसे इतना उलझा देता है कि केवल दबंग, प्रभावशाली नागरिक ही बन्‍दुक का लाईसेंस ले कर खरीद पाते हैं। अमेरिका में ऐसा नहीं है। वहां बंदुक संस्‍क़ति का हिस्‍सा बन गयी है। इसे 'गन कल्‍चर' के रूप में परिभाषित किया गया है। अमेरिका में पिस्‍तौल खरीदना उतना ही आसान है जितना कि रेस्‍टोरेंट से पिज्‍जा या हॉट डॉग खरीदना। पिछले पांच सालों में इसी संस्‍क़ति के भयानक परिणाम अमेरिका ने स्‍कूलों, कॉलेजों में छात्रों द्वारा की गई फायरिंग में अपने छात्रों को खोने के रूप भुगता है। बराक ओबामा ने अपने साढे सात सालों में इस पर रोक लगाने की पुरजोर कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाये। अमेरिकी नागरिक इन संहारक घटनाओं के बावजूद भी बन्‍दुक के प्रति अपने अधिकार को छोडने को कत्‍तई तैयार नहीं है। हिलेरी क्लिंटन इस मुददे पर यह राय रखती है कि बन्‍दुक लेने वाले व्‍यक्ति की प़ष्‍ठभूमि की सख्‍त जांच होनी चाहिये। बन्‍दुक लेने वाले का मनोवैज्ञानिक परीक्षण होना चाहिये और इसके साथ उसे प्रशिक्षित भी किया जाना चाहिये। डोनाल्‍ड ट्रंप इस मुददे पर बन्‍दुक खरीदने के स्‍वतंत्र  अधिकार के हामी हैं। जलवायु परिवर्तन पूरे विश्‍व का एक ज्‍वलंत मुददा है। ग्‍लोबल वार्मिंग से दुनिया भर के देश प्राक़तिक घटनाओं को अप्राक़तिक रूप से घटित होते हुए देख रहे हैं। वैज्ञानिक चिंतित हैं लेकिन डोनाल्‍ड ट्रंप नहीं। जलवायु परिवर्तन रोकने के लिये पर्यावरणीय नियमों में परिवर्तन का ट्रंप विरोध करते हैं। उनका मानना है कि ग्‍लोबल वार्मिंग एक प्राक़तिक घटना है। वहीं इस मुददे पर हिलेरी क्लिंटन नियमों में परिवर्तन की पक्षधर है और वैकल्पिक उर्जा स्रोतों को प्रोत्‍साहन की समर्थक हैं। 

      भारत में समलैंगिकता अभी भी मुख्‍यधारा का मुददा नहीं है, लेकिन अमेरिका में है। हिलेरी क्लिंटन समलैंगिक विवाह को कानूनी दर्जा दिये जाने की वकालत करती है लेकिन डोनाल्‍ड ट्रंप इसे अप्राक़तिक संबंध बताते हुए शादी को एक पुरूष और महिला के मध्‍य संबंध के रूप में ही परिभाषित किये जाने के हामीं हैं। इसी प्रकार आउटसोर्सिंग पर लगाम लगाने के लिये ट्रंप अमेरिकी कम्‍पनियों पर दबाव बनाने के पक्षधर हैं कि वे अमेरिकी बेरोजगारी दूर करे। इसके दूरगामी परिणाम अमेरिकी विदेश नीति पर पड सकते हैं। हिलेरी क्लिंटन इसकी मुखर विरोधी है। उनके अनुसार प्रत्‍येक कम्‍पनी को यह अधिकार है कि वह अपने व्‍यापार के लिये श्रेष्‍ठ युवाओं को विश्‍व भर में कहीं से नियुक्‍त करे और अपना काम करवाए। अमेरिका में पढने वाले युवाओं को ऋण दिया जाता है। इस ऋण की ब्‍याज दर काफी उच्‍च होती है। यह मांग निरंतर उठती चली आ रही है कि छात्रों को दिये जाने वाले ब्‍याज दर को कम किया जाये और इसके बदले में अमीरों पर टेक्‍स में व़द्धि की जाये। हिलेरी इसकी पक्षधर है और धनकुबेर ट्रंप स्‍वाभाविक रूप से इसके विरोधी हैं। ओबामा अपने कार्यकाल में सभी अमेरिकी नागरिकों को स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के दायरे में लाने के लिये 'अफोर्डेबल केयर एक्‍ट' में सुधार कर स्‍वास्‍थ्‍य बीमा करवाया जाना सभी के लिये अनिवार्य कर दिया गया। इसे अमेरिकी जनता 'ओबामा केयर' के रूप में भी जानती है। डेमोक्रेटस इस पर समर्थन जुटा रहे हैं वहीं रिपलिब्‍लकन्‍स का ये कहना है कि यदि वे सत्‍ता में आये तो इसे हटा देंगे। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अमेरिका के केवल एक प्रतिशत लोगों के पास पूरी अमेरिका की नब्‍बे फीसदी दौलत है। इस घोर असमानता के मुददे को हिलेरी क्लिंटन के सामने पार्टी की पूर्व उम्‍मीदवार सेंडर्स ने उठाया था। आर्थिक असमानता का यह मुददा महत्‍वपूर्ण है। अमेरिकी जनता सोशल वेलफेयर पॉलिसी, जो कि यूरोपियन युनियन में लागू किया गया है, की तर्ज पर लागू किये जाने की उम्‍मीद हिलेरी क्लिंटन से की जा रही है। डोनाल्‍ड ट्रंप ने इस मुददे पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यदि डोनाल्‍ड ट्रंप जीतते हैं तो अमेरिकी अंतरिक्ष ऐजेंसी 'नासा' को भी आने वाले समय में संकट का सामना करना पड सकता है। डोनाल्‍ड ट्रंप का मानना है कि लोगों को अंतरिक्ष यात्राएं करवाने का काम नासा का नहीं है। यह काम निजी कम्‍पनियों पर छोड दिया जाना चाहिये। हिलेरी क्लिंटन इस बात पर सहमत नहीं है और नासा के किसी भी काम में हस्‍तक्षेप को उचित नहीं मानती। 
      बहरहाल मुददे दर मुददे पर दोनों उम्‍मीदवारों में काफी मतभेद है लेकिन कुछ मुददे ऐसे भी हैं जिन पर दोनों उम्‍मीदवारों की राय एक समान हैं। दोनों ही उम्‍मीदवार पुरूष और महिला को समान कार्य के लिये समान वेतन दिये जाने के पक्षधर हैं। पित़त्‍व निधि की सरकारी नीति को निरन्‍तर जारी रखने के लिये भी दोनों ही दिग्‍गज हामी भरते हैं। मादक पदार्थ और चिकित्‍सा के लिये आवश्‍यक मारीजुआना के चिकित्‍सीय प्रयोग की अनुमति प्रदान किये जाने पर भी दोनों ही उम्‍मीदवार अपनी सहमति देते हैं। आईएसआईएस जैसे बर्बर आतंकवादी संगठन सहित अल कायदा और अन्‍य आतंकी संगठनों को समाप्‍त करने के लिये भी दोनों दल एक राय रखते हैं। लेकिन ऐसे मुददे कम हैं जहां दोनों के विचार एक जैसे हों। ज्‍यादातर मुददों पर बंटी ये दोनों पार्टिंया, दोनों उम्‍मीदवार। अमेरिकी जनता इन्‍हे अपनी कसौटी पर एक एक मुददे के साथ परखेगी। गुणावगुण के आधार पर किसे भविष्‍य का राष्‍ट्रपति चुनेगी, इसकी प्रतीक्षा समूचा विश्‍व कर रहा है। 
      8 नवम्‍बर 2016 को अमेरिकी राष्‍ट्रपति के चुनाव की तिथि नियत है। दुनिया की नजर इस चुनाव पर है। ग्‍लोब पर जितने देश नजर आते हैं, उनमें जिज्ञासा है। तनाव है। उत्‍साह है। आशंका है। उम्‍मीद है। ये तो सभी जानते हैं कि वामवादी रूस का भटठा बैठने के बाद से अमेरिका विश्‍व का स्‍वंयभू लीडर है। सभी देशों के हित-अहित किसी न किसी रूप में अमेरिका से जुडे रहते हैं। नाटो देशों की अगुवाई करने वाला यह शक्तिशाली देश इस धरती पर विचरण करने वाले प्रत्‍येक प्राणी के जीवन को प्रभावित करता है। कई देश आर्थिक मदद की आस लगाये बैठे हैं, कई आर्थिक मदद में इजाफे के इंतजार में है। कई देश अपने घर में उत्‍पात मचाये हुए आतंकियों को जमीदोज करने में अमेरिका की गुहार लगा रहे हैं। कई देशों के नेता ऐसे भी हैं कि अपने देश में विरोधियों को शांत करने के लिये अमेरिकी उम्‍मीद पाले हैं। अमेरिका सबकी पंचायती करता है। लेकिन अपने हितों को सर्वप्रथम रखता है। देश छोटा हो या बडा अमेरिका गुण-दोष के आधार पर वहां अपनी राजनीति चलाता है। प्रभुत्‍व जमाने का ये गुण दशकों से अमेरिका खेल रहा है। इसमें कोई कमी आयेगी, इसकी आशा कम ही है। विश्‍व की नजर इसलिये भी अमेरिकी चुनावों पर है क्‍योंकि खुद अमेरिकी राष्‍ट्रपति पद के उम्‍मीदवारों के विभिन्‍न मुददों पर आ रहे बयानों से स्थिति स्‍पष्‍ट नहीं हो पा रही है कि आखिर विश्‍व के प्रति अमेरिका की आगामी रणनीति क्‍या होगी।
      आज हम विभिन्‍न मुददों पर दोनों उम्‍मीदवारों के विचारों का विश्‍लेषण करते हैं। सबसे पहले वह मुददा जिससे डोनाल्‍ड ट्रंप उभरे। उन्‍होंने स्‍पष्‍ट कहा कि वे मुसलमानों के अमेरिका धुसने पर प्रतिबंध लगा देंगे। इस बयान ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी। रिपब्लिकन्‍स पार्टी के भीतर और देश में भी असमंजस का माहौल हो गया। यही वह बयान था जिससे अमेरिका में राष्‍ट्रवाद उभरा। खुले, स्‍वतंत्र और उदारवादी लोगों के अलावा जितने भी अमेरिकन्‍स हैं उनसे डोनाल्‍ड ट्रंप को भारी समर्थन मिलना आरम्‍भ हुआ। ट्रंप का तो ये भी कहना है कि जो लोग संदिग्‍ध हैं उन्‍हे पर्याप्‍त स्‍क्रीनिंग तक अमेरिका से तब तक बाहर कर देना चाहिये जब तक कि अमेरिकी अधिकारी उनके प्रति पूरी तरह आश्‍वस्‍त नहीं हो जाये। डेमोक्रेटिक उम्‍मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने इस बयान का जमकर विरोध किया। इस बयान से एक प्रकार का उदारवादी और कटटरवादियों के बीच ध्रुवीकरण हुआ। डोनाल्‍ड ट्रंप इस बात के भी मुखर समर्थक हैं कि जो आतंकवाद के आरोप में पकडे गये हैं उन्‍हे कोई कानूनी मदद नहीं दी जानी चाहिये, जबकि हिलेरी इस पक्ष की हैं कि उन्‍हे निष्‍पक्ष सुनवाई का अधिकार दिया जाना चाहिये। ये मुददा चुनाव होने तक गर्म रहने की संभावना बनी रहेगी।
      एक मुददा जो कि हाल ही के पांच-सात सालों में पूरे यूरोप के लिये सांसत बना हुआ है, वह शरणार्थियों का। आई.एस.आई.एस. के बर्बर आतंक, निदोर्षों को गाजर मूली की तरह काटने, बच्‍चों से लेकर व़द्धों तक को पैशाचिक तरीके से मारने से अपनी मौत की आशंका से बदहवास लोग अपना घर-बार छोड कर पलायन कर रहे हैं। इनके पलायन से शरणार्थियों के रूप में एक बडी समस्‍या पूरे यूरोप में आ गई है। ये निश्‍चय ही गंभीर समस्‍या है। युरोपियन देशों में इसको लेकर बहस हो रही है। मानवीयता के आधार पर यूरोप के देश शरणार्थियों की दिल खोल कर मदद कर रहे हैं। लेकिन ये दरियादिली उन्‍हे भारी पड रही है। आर्थिक रूप से तो परायों को बैठे-बिठाये खिलाने पर खजाने खाली हो रहे हैं पर इससे बडा डर इस बात का है कि शरणार्थियों के रूप में जिहादी भी घुस आये हैं। पिछले एक साल में आतंक की जितनी घटनायें यूरोप में हुई, उनके तार कहीं न कहीं आई.एस.आई.एस. से जुडे नजर आये। हर देश को अधिकार है कि वह अपने लोगों को बचाने के लिये किसी भी हद तक जाये। हिलेरी क्लिंटन सीरियन शरणार्थियों को शरण दिये जाने की पक्षधर हैं। डोनाल्‍ड ट्रंप इस मुददे पर बिल्‍कुल सख्‍त हैं। उनका ये मानना है कि अमेरिका में किसी शरणार्थी को शरण नहीं दी जानी चाहिये। इससे भी आगे बढ कर ट्रंप कहते हैं कि जो आ गये हैं, उन्‍हे भी वापिस भेज देना चाहिये।
      रूस के पतन के बाद से अमेरिका का दो दशक तक कोई बराबरी का राष्‍ट्र नहीं था। यह शून्‍य चीन ने भर दिया है। अब दोनों बराबरी की शक्ति वाले ध्रुव राष्‍ट्र बन गये हैं। चीन की शक्ति से उपर रहने में अमेरिका रक्षा खर्च बढाना चाहता है। साथ ही अमेरिका अपनी सैन्‍य ताकत के बल पर दुनियाभर में अभियान चलाता रहा है। अमेरिका का सैन्‍य खर्च भारी भरकम है। इसमें कटौती किये जाने का मुददा जब सामने आया तो डोनाल्‍ड ट्रंप ने स्‍पष्‍ट मत दिया कि वे चाहते हैं कि अमेरिका को आतंक से लडने के लिये और संसाधनों की आवश्‍यकता है। वे सैन्‍य खर्च में भारी बढोत्‍तरी के पक्ष में है। वहीं हिलेरी क्लिंटन की नजर में वर्तमान सैन्‍य बजट पर्याप्‍त है।
      अगला मुददा है अवैध आप्रवास। अमेरिका इस समस्‍या से सबसे ज्‍यादा पीडित है। इसका कारण यह है कि अमेरिकी संसद सभी जीवित इंसानों के कल्‍याण के लिये प्रतिबद्ध है। दुनिया भर से लोग अवैध तरीके से कैसे भी करके अमेरिका पहुंचना चाहते हैं। अमेरिका की आर्थिक स्थिति अब ऐसा नहीं है कि उनका खर्च भी उठाये। हिलेरी क्लिंटन इस मुददे पर कहती है कि आप्रवासियों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिये सरकारी सब्‍सिडी जारी रहनी चाहिये और यहां तक कि उन्‍हे नागरिकता अनुदान भी मिलना चाहिये। ट्रंप इसके सख्‍त विरोधी हैं। इसी से जुडा अगला मुददा है मेक्सिकन आप्रवासी। मेक्सिको के अवैध आप्रवासी अमेरिका के लिये गले की हडडी है। अमेरिका में लाखों मैक्सिकन रहते हैं। अमेरिका का मादक पदार्थों का धंधा लगभग पूरा ही मेक्सिकन के हाथों में है। अमेरिका इनसे चाह कर भी निजात नहीं पा सका है। ट्रंप ने यह बयान देकर इस मुददे को लाईम लाईट में ला दिया है कि वह अमेरिका और मेक्सिको की सीमा पर उंची दीवार बनवाना चाहते हैं जिससे मेक्सिको सीमा से अवैध रूप से घुसने वालों को रोका जा सके। जाहिर सी बात है कि हिलेरी इससे सहमत नहीं है।
      आप यदि भारत में हैं और आपको स्‍वरक्षा के लिये बन्‍दुक खरीदनी है तो सरकारी सिस्‍टम उसे इतना उलझा देता है कि केवल दबंग, प्रभावशाली नागरिक ही बन्‍दुक का लाईसेंस ले कर खरीद पाते हैं। अमेरिका में ऐसा नहीं है। वहां बंदुक संस्‍क़ति का हिस्‍सा बन गयी है। इसे 'गन कल्‍चर' के रूप में परिभाषित किया गया है। अमेरिका में पिस्‍तौल खरीदना उतना ही आसान है जितना कि रेस्‍टोरेंट से पिज्‍जा या हॉट डॉग खरीदना। पिछले पांच सालों में इसी संस्‍क़ति के भयानक परिणाम अमेरिका ने स्‍कूलों, कॉलेजों में छात्रों द्वारा की गई फायरिंग में अपने छात्रों को खोने के रूप भुगता है। बराक ओबामा ने अपने साढे सात सालों में इस पर रोक लगाने की पुरजोर कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाये। अमेरिकी नागरिक इन संहारक घटनाओं के बावजूद भी बन्‍दुक के प्रति अपने अधिकार को छोडने को कत्‍तई तैयार नहीं है। हिलेरी क्लिंटन इस मुददे पर यह राय रखती है कि बन्‍दुक लेने वाले व्‍यक्ति की प़ष्‍ठभूमि की सख्‍त जांच होनी चाहिये। बन्‍दुक लेने वाले का मनोवैज्ञानिक परीक्षण होना चाहिये और इसके साथ उसे प्रशिक्षित भी किया जाना चाहिये। डोनाल्‍ड ट्रंप इस मुददे पर बन्‍दुक खरीदने के स्‍वतंत्र  अधिकार के हामी हैं। जलवायु परिवर्तन पूरे विश्‍व का एक ज्‍वलंत मुददा है। ग्‍लोबल वार्मिंग से दुनिया भर के देश प्राक़तिक घटनाओं को अप्राक़तिक रूप से घटित होते हुए देख रहे हैं। वैज्ञानिक चिंतित हैं लेकिन डोनाल्‍ड ट्रंप नहीं। जलवायु परिवर्तन रोकने के लिये पर्यावरणीय नियमों में परिवर्तन का ट्रंप विरोध करते हैं। उनका मानना है कि ग्‍लोबल वार्मिंग एक प्राक़तिक घटना है। वहीं इस मुददे पर हिलेरी क्लिंटन नियमों में परिवर्तन की पक्षधर है और वैकल्पिक उर्जा स्रोतों को प्रोत्‍साहन की समर्थक हैं। 
      भारत में समलैंगिकता अभी भी मुख्‍यधारा का मुददा नहीं है, लेकिन अमेरिका में है। हिलेरी क्लिंटन समलैंगिक विवाह को कानूनी दर्जा दिये जाने की वकालत करती है लेकिन डोनाल्‍ड ट्रंप इसे अप्राक़तिक संबंध बताते हुए शादी को एक पुरूष और महिला के मध्‍य संबंध के रूप में ही परिभाषित किये जाने के हामीं हैं। इसी प्रकार आउटसोर्सिंग पर लगाम लगाने के लिये ट्रंप अमेरिकी कम्‍पनियों पर दबाव बनाने के पक्षधर हैं कि वे अमेरिकी बेरोजगारी दूर करे। इसके दूरगामी परिणाम अमेरिकी विदेश नीति पर पड सकते हैं। हिलेरी क्लिंटन इसकी मुखर विरोधी है। उनके अनुसार प्रत्‍येक कम्‍पनी को यह अधिकार है कि वह अपने व्‍यापार के लिये श्रेष्‍ठ युवाओं को विश्‍व भर में कहीं से नियुक्‍त करे और अपना काम करवाए। अमेरिका में पढने वाले युवाओं को ऋण दिया जाता है। इस ऋण की ब्‍याज दर काफी उच्‍च होती है। यह मांग निरंतर उठती चली आ रही है कि छात्रों को दिये जाने वाले ब्‍याज दर को कम किया जाये और इसके बदले में अमीरों पर टेक्‍स में व़द्धि की जाये। हिलेरी इसकी पक्षधर है और धनकुबेर ट्रंप स्‍वाभाविक रूप से इसके विरोधी हैं। ओबामा अपने कार्यकाल में सभी अमेरिकी नागरिकों को स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के दायरे में लाने के लिये 'अफोर्डेबल केयर एक्‍ट' में सुधार कर स्‍वास्‍थ्‍य बीमा करवाया जाना सभी के लिये अनिवार्य कर दिया गया। इसे अमेरिकी जनता 'ओबामा केयर' के रूप में भी जानती है। डेमोक्रेटस इस पर समर्थन जुटा रहे हैं वहीं रिपलिब्‍लकन्‍स का ये कहना है कि यदि वे सत्‍ता में आये तो इसे हटा देंगे। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अमेरिका के केवल एक प्रतिशत लोगों के पास पूरी अमेरिका की नब्‍बे फीसदी दौलत है। इस घोर असमानता के मुददे को हिलेरी क्लिंटन के सामने पार्टी की पूर्व उम्‍मीदवार सेंडर्स ने उठाया था। आर्थिक असमानता का यह मुददा महत्‍वपूर्ण है। अमेरिकी जनता सोशल वेलफेयर पॉलिसी, जो कि यूरोपियन युनियन में लागू किया गया है, की तर्ज पर लागू किये जाने की उम्‍मीद हिलेरी क्लिंटन से की जा रही है। डोनाल्‍ड ट्रंप ने इस मुददे पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यदि डोनाल्‍ड ट्रंप जीतते हैं तो अमेरिकी अंतरिक्ष ऐजेंसी 'नासा' को भी आने वाले समय में संकट का सामना करना पड सकता है। डोनाल्‍ड ट्रंप का मानना है कि लोगों को अंतरिक्ष यात्राएं करवाने का काम नासा का नहीं है। यह काम निजी कम्‍पनियों पर छोड दिया जाना चाहिये। हिलेरी क्लिंटन इस बात पर सहमत नहीं है और नासा के किसी भी काम में हस्‍तक्षेप को उचित नहीं मानती। 

      बहरहाल मुददे दर मुददे पर दोनों उम्‍मीदवारों में काफी मतभेद है लेकिन कुछ मुददे ऐसे भी हैं जिन पर दोनों उम्‍मीदवारों की राय एक समान हैं। दोनों ही उम्‍मीदवार पुरूष और महिला को समान कार्य के लिये समान वेतन दिये जाने के पक्षधर हैं। पित़त्‍व निधि की सरकारी नीति को निरन्‍तर जारी रखने के लिये भी दोनों ही दिग्‍गज हामी भरते हैं। मादक पदार्थ और चिकित्‍सा के लिये आवश्‍यक मारीजुआना के चिकित्‍सीय प्रयोग की अनुमति प्रदान किये जाने पर भी दोनों ही उम्‍मीदवार अपनी सहमति देते हैं। आईएसआईएस जैसे बर्बर आतंकवादी संगठन सहित अल कायदा और अन्‍य आतंकी संगठनों को समाप्‍त करने के लिये भी दोनों दल एक राय रखते हैं। लेकिन ऐसे मुददे कम हैं जहां दोनों के विचार एक जैसे हों। ज्‍यादातर मुददों पर बंटी ये दोनों पार्टिंया, दोनों उम्‍मीदवार। अमेरिकी जनता इन्‍हे अपनी कसौटी पर एक एक मुददे के साथ परखेगी। गुणावगुण के आधार पर किसे भविष्‍य का राष्‍ट्रपति चुनेगी, इसकी प्रतीक्षा समूचा विश्‍व कर रहा है।
 

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