अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव
विशेष फीचर - (1)
डोनाल्ड ट्रम्प का उभार और अमेरिका के लिये दोराहा
(संजय पुरोहित)
अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव आम भारतीय के लिये हमेशा
से कौतुहल का विषय रहा है। एक तो ये लम्बा, थका देने वाला बोरिंग चुनाव है दूसरा
निर्वाचित होने वाले व्यक्ति के भारत के प्रति द़ष्टिकोण के प्रति उत्सुकता बनी
रहती है। क्या कुछ है अमेरिकी चुनाव की खासियत और क्यों ये चुनाव दुनिया के
राजनैतिक चक्र को अपने अक्ष पर गतिशील करने वाले साबित होंगे। इन्ही विषयों पर विशेष सीरीज का पहला भाग।
इस वर्ष का चुनाव सदी का महत्वपूर्ण और निर्णायक मोड वाला
चुनाव होने जा रहा है। यह चुनाव अमेरिका के ही नहीं अपितु पूरे विश्व की राजनैतिक
व्यवस्था में आमूलचुन परिवर्तन करने वाला टर्निंग पोईन्ट वाला चुनाव होने जा
रहा है। इस विशेष सीरीज की पहली कडी में आज हम डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिकी
राजनीति परिद़श्य में उभरने और उसके व्यापक असर की चर्चा करेंगे।
बराक ओबामा ने अपना चुनाव 'येस वी केन' के नारे के साथ लडा।
अमेरिका ही नहीं बल्कि मानवीयता, समानता की सोच रखने वाले विश्व के सभी देशों में
उनके निर्वाचन को सकारात्मक रूप से लिया गया। आतंकवाद के प्रति कडे रूख और 11
सितम्बर के हमले के बाद अमेरिका पर किसी भी दूसरे हमले को रोकने में सक्षम रह कर
ओबामा प्रशासन ने अमेरिकियों के बीच ठोस जगह बनाई। दुनियां की आतंकी पाठशाला
पाकिस्तान में अपने सबसे बडे गुनहगार ओसामा लादेन को मार कर ओबामा ने अमेरिकी
लोगों का विश्वास बनाये रखा। निजी मोर्चों पर अमेरिकी कांग्रेस में रिपब्लिकन्स
के लगातार विरोध होता रहा किंतु ओबामा डटे रहे। इस बीच इराक, सीरिया से आईएसआईएस
के उदय ने अमेरिका के सामने बेहद बडी चुनौती खडी कर दी। नेटो सेनाओं के सरदार के
रूप में अमेरिका आईएसआईएस से युद्धरत है। लेकिन इस बीच ओबामा का दूसरा कार्यकाल
समाप्ति पर आ गया। आज भी यदि अमेरिका में जनमत संग्रह कराया जाये तो अमेरिकी जनता
की भावना बराक ओबामा को हटाने की कत्तई नहीं होगी लेकिन अमेरिकी संविधान में एक
राष्ट्रपति दो बार से ज्यादा राष्ट्रपति नहीं रह सकता। बराक ओबामा को कभी खुशी
कभी गम वाले आठ सालों के बाद विदा होना होगा। लेकिन ओबामा का पद भरने के लिये जो
विकल्प अमेरिका को मिल रहे हैं, वे उस दर्जे के तो कत्तई नहीं है जिसकी अमेरिकन
अपेक्षा करते थे।
ट्रम्प। डोनाल्ड ट्रम्प। आये और छा गये। अमेरिका के
हितों को विश्व के हितों के उपर रखने का वादा कर रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार ट्रम्प
अचानक से नयी और आक्रामक छवि के साथ सामने आये। उधर हिलेरी क्लिंटन डेमोक्रेटिक
पार्टी की अधिक़त उम्मीदवार के रूप में सामने आई है। अभी हालात ये हैं कि राष्ट्रवादी
लहर पर सवार होकर डोनाल्ड ट्रम्प बढत बना रहे हैं। ट्रम्प बेलाग, बेखौफ, दो
टुक, खरी खरी कहने वाले शख्स के रूप में उभरे हैं। वे फुफकारते बैल की भांति बढे
चले जा रहे हैं। दुनिया के लिये कलंक बने आतंकवाद और इसके समर्थक, इसके प्रति नरम
रूख अपनाने वाले, चुप रहकर मौन समर्थन करने वालों के लिये ट्रम्प के कैम्प में
कोई जगह नहीं है। ट्रम्प मीठे शब्दों का मुलम्मा चढा कर लिजलिजी बात नहीं कहते।
उनके बयान झन्नाटेदार चांटों की तरह सटीकता से लक्ष्य को बिलबिला रहे हैं। ट्रम्प
के बयान उनके समर्थकों के लिये लहर पैदा कर रहे हैं। ट्रम्प ने अपने पहले ही महत्वपूर्ण
बयान से अपनी प्राथमिकताओं को अमेरिकी जनता के साथ साझा किया। मजहब का आवरण ओढ कर
अमेरिकी अवाम में घुलमिल कर आतंकवाद के लिये जमीन तैयार करने वालों के विरूद्ध
ट्रम्प ने खुल्लम खुल्ला बयान देकर अमेरिकी राजनीति में भूचाल ला खडा कर दिया।
इससे बडी बात ये हुई कि बडी संख्या में पीडित अमेरिकी जनता ने ट्रम्प को समर्थन
देकर वर्षों से विदेशियों के बढते आधिपत्य के प्रति अपनी भडास निकालनी शुरू कर
दी। जो ट्रम्प पहले मुकाबले में कमजोर ही नहीं बल्कि दिखाई तक नहीं दे रहे थे, अचानक
ही लाईमलाईट में आ गये। डेमोक्रेटस हिलेरी के कैम्प में ट्रम्प ने भूचाल ला
दिया। ट्रम्प का चुनाव अभियान शुरू से ही आक्रामक रहा है। वे मुसलमानों को
अमेरिका में घुसने नहीं देने की नीति बनाने का दावा कर रहे हैं। अमेरिकी बाजारों
की नौकरियों जो होशियार भारतीयों विद्यार्थियों के आधिपत्य में बढती जा रही है,
उन्हे पुन: अमेरिकी युवाओं के लिये बहाल करने का सब्जबाग दिखा रहे हैं। आउटसोर्सिंग
से हो रही रोजगार की कमी के विरूद्ध में ठोस कदम उठाने का भरोसा दे रहे हैं। मैक्सिको
से आने वाले अपराधियों के गिरोहों, मादक पदार्थों और अवांछित शरणार्थियों को रोकने
के लिये अमेरिका मेक्सिकों की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर दीवार बनाने का वादा भी
कर रहे हैं। बाहर से आकर अमेरिका में बस गये लोगों के प्रति उनका रवैया बेहद कठोर
है। यही भारत सहित अन्य विकासशील देशों के लिये चिंता का कारण है। पर्यावरणीय
जिम्मेदारी उठाने के लिये अमेरिका पर दबाव के सख्त विरोध की दलीलें भी ट्रम्प
के पास मौजूद है।
ट्रम्प बेलाग हैं। उनके पास अकूत
दौलत है। जाहिर सी बात है कि यह चुनाव विचारों से ज्यादा दौलत की ताकत पर लडा जा
रहा है। ट्रम्प की खुद की पार्टी रिपब्लिकन्स के कई साथ खुले तौर पर ट्रम्प का
विरोध कर रहे हैं। पर इससे ट्रम्प को कोई फर्क पडता नजर नहीं आ रहा है। वे तो बस
दौडे चले जा रहे हैं। डेमोक्रेटस उनकी उन्मुक्त मॉडल रही पत्नी, उनके व्यापार,
उनकी जीवनशौली पर अंगुलियां उठा रहे हैं। लेकिन उनके विरोध का असर उल्टा हो रहा
है। उनका समर्थन बढता ही जा रहा है। अपने भडकाउ बयानों से सुर्खियां बटोर रहे हैं।
पर हैरानकुन बात यह है कि उन्हे अमेरिकी जनता का अविश्वसनीय और अपार समर्थन मिल
रहा है।
अमेरिका विश्व परिद़श्य में अपने लिये नई भूमिका, अपने
समाज के लिये सुरक्षा की आशा करता है। इराक, सीरिया, अफगानिस्तान, लीबिया और
दूसरे देशों में अपने हितों को साझने की अमेरिकी नीति के कारण पिछले डेढ दो दशकों
में हजारों अमेरिकी सैनिकों को कुर्बानी देनी पडी है। तेल का खेल हो या हथियारों
का व्यापार, दुनिया के बॉस बनने की आकांक्षा हो या ग्लोब के सभी देशों को अपनी
अंगुलियों पर नचाने की साम्राज्यवादी परम्परा, अमेरिका की नीतियां उसके सहयोगी
कम, शत्रु ज्यादा बढाती रही है। अन्तत: ऐसा नीतियों का खामियाजा आम अमेरिकी भुगतता
रहा है। ऐसा लगता है कि वह उकता सा गया है। इस उहापोह वाली स्थिति में बराक ओबामा
का पद खाली होना और ट्रम्प का विकल्प के रूप में उभरना अमेरिकियों के लिये अस्वाभाविक
निर्णय लेने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। यह वस्तुत: अमेरिकियों के लिये
दोराहा है। क्या ट्रम्प बयानवीर साबित होंगे या वास्तव में कथनी को करनी में
बदलने का दुस्साहस भी करेंगे। यदि ऐसा करेंगे भी तो क्या उसे व्यापक रूप से
मान्यता मिल पायेगी ? विश्व भर की संस्क़तियों, परम्पराओं, भाषाओं, धर्मों और
देशों के लोगों से रचा बसा अमेरिका कहीं अपने पहियों को रिवर्स गियर में तो नहीं
डालेगा ? ट्रम्प
के उलजुलूल फैसले अमेरिका के लिये ही आत्मघाती तो साबित नहीं हो जायेंगे ? ये सभी प्रश्न अभी समय से पहले उठ रहे हैं, काल्पनिक
परिस्थितियों पर आधारित हैं, जिनका उत्तर भविष्य के गर्भ में है। फैसला अमेरिकी
मतदाता को करना है। डगर बदलेगी या बदलेगी सहर। वक्त बतायेगा। हिलेरी क्लिंटन या
डोनाल्ड ट्रम्प। निर्णय जो भी होगा, विश्व परिद़श्य को बदलने वाला होगा।
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