संजय के इस ब्‍लॉग में आपका स्‍वागत है. मेरा सिरजण आप तक पहुंचे, इसका छोटा सा प्रयास।

Wednesday, October 4, 2017

*विराम*लघुकथा*संजय पुरोहित
कैंटीन में काम कर रहे एक छोटे लड़के ने पकोड़े की प्लेट रखते हुए जिज्ञासावश पूछा, "साब जी , ये वेतन आयोग क्या होता है ? "
बाबूओं ने असहजता से पहले लड़के को, फिर एक दूसरे को देखा। चाय की चुस्कियों के बीच वेतन में इज़ाफ़े की खुशनुमा चर्चा को विराम लग गया।

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