संजय के इस ब्‍लॉग में आपका स्‍वागत है. मेरा सिरजण आप तक पहुंचे, इसका छोटा सा प्रयास।

Wednesday, October 4, 2017

*शेक्सपीयर झूठा था !*लघुकथा*संजय पुरोहित 
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बड़े कवि और एक नवोदित की कविता एक पत्रिका में छपी। मुद्रण की त्रूटि से लेखकों के नाम अदल-बदल गये। बड़े कवि को उस कविता की खूब प्रशंसा मिली, जो नवोदित की लिखी थी। उधर नवोदित कवि एक अदद टिप्पणी को तरस गया, उस कविता के लिए जो बड़े कवि ने लिखी थी।
पत्रिका ने अगले अंक में मुद्रण दोष के लिए क्षमा माँगी। नवोदित कवि को लगा, शेक्सपीयर झूठा था, जिसने लिखा था ‘‘व्हाॅट इज दैयर इन ए नेम ?‘‘

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