संजय के इस ब्‍लॉग में आपका स्‍वागत है. मेरा सिरजण आप तक पहुंचे, इसका छोटा सा प्रयास।

Wednesday, October 4, 2017

*सवाल*लघुकथा*संजय पुरोहित
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मशहूर फोटोग्राफर की फोटो प्रदर्शनी। अतिथि का अवलोकन। फोटोग्राफर हर फोटो की ब्रीफ हिस्‍ट्री बता रहे थे। एक चित्र दिखाते कहा,''सर। ये फोटो दंगे का है, मैंने जान पर खेल कर इसे क्लिक किया।'' यह किसी व्‍यक्ति के जिंदा जलने का वीभत्‍स फोटो था । 
अतिथि के साथ आये एक बच्‍चे ने मासूमियत से सवाल किया, ''इन अंकल का फिर क्‍या हुआ ?'' फोटोग्राफर बच्‍चे का गाल थपथपाते बोला, ''मालूम नहीं बेटा। मैं तो वहां से जान बचा कर भाग निकला था।'' 

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