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Wednesday, October 4, 2017
*विलंब*लघुकथा*संजय पुरोहित
रेलकर्मी ऑफिस में चार घंटे विलंब से आया। नाराज साहेब ने डांटा,"इतने लेट ? शेम ऑन यू !" "सॉरी सर। क्या करता, टूर पर था। ट्रेन शेड्यूल फाइनल करके आज आया, लेकिन ट्रेन ही लेट थी।" साहब के पास अब कहने को कुछ नहीं था।
कवि, कथाकार, एंकर..हिन्दी कहानियो की एक पुस्तक 'कथांजलि' नाम से तथा राजस्थानी काव्य संग्रह 'थूं क्यूं हुवै उदास' नाम से प्रकाशित हुई है।हजार से अधिक टीवी, रेडियो, स्टेज, के कार्यक्रमो में संचालन का सौभाग्य मिला। हिंदी, राजस्थानी और अंग्रेजी में लिखता रहा हुं। व्यंग्य, आलेख, लघुकथाएं भी निरन्तर देशभर के पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं।
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