संजय के इस ब्‍लॉग में आपका स्‍वागत है. मेरा सिरजण आप तक पहुंचे, इसका छोटा सा प्रयास।

Wednesday, October 4, 2017

*मां*एक बड़ी लघुकथा*संजय पुरोहित*
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"मम्‍मा, यू नो। मेरी फ्रेंडस कहती है कि आई लुक फेट...कल से दो ही रोटी खाऊंगी।"
"नहीं बिटिया, तुम मोटी नहीं, बल्कि बिल्‍कुल फिट हो।"
"ना मम्‍मा। ओनली टू चपातीज फ्रोम टुमारो। दिस इज फाइनल।"
अगले दिन बिटिया ने देखा, मां ने उसके लिये दो ही रोटी बनाई पर रोटी का आकार दुगुना था, मोटाई भी।

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